डिहाइड्रेशन से जल्दी आराम दिलाते हैं ये 5 आयुर्वेद

गर्मियों के दिनों में आप सभी ने यह महसूस किया होगा कि आपको बहुत तेज प्यास लगती है लेकिन पानी पीने के बावजूद भी यह प्यास बुझती नहीं है। वास्तव में ऐसा शरीर में पानी की कमी (Dehydration) के कारण होता है. डिहाइड्रेशन या निर्जलीकरण गर्मियों के दिनों में होने वाली एक आम बीमारी है। हमारे शरीर के लगभग एक तिहाई हिस्से में पानी मौजूद होता है। गर्मियों के मौसम में पानी कम पीने से और ज्यादा पसीना निकलने से शरीर मे पानी और नमक का संतुलन बिगड़ जाता है जिससे कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं। वैसे तो यह समस्या किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है लेकिन छोटे बच्चे इसकी चपेट में बहुत जल्दी आते हैं।

हमारे शरीर में मौजूद कोशिकाओं को सुचारु रुप से काम करने के लिए ऑक्सीजन की ज़रुरत पड़ती है और यह ऑक्सीजन उन्हें पानी से ही मिलती है। ऐसे में अगर शरीर में पानी की कमी होती है तो ऑक्सीजन की आपूर्ति पर बुरा असर पड़ता है और शारीरिक स्वास्थ्य बिगड़ने लगता है। अगर आप सही समय पर डिहाइड्रेशन का इलाज (Dehydration treatment) नहीं करते हैं तो आगे चलकर आपकी मुश्किलें काफी बढ़ सकती हैं।
शरीर में पानी की कमी कई कारणों की वजह से हो सकती है। आमतौर पर ज्यादा देर तक गर्मी में रहने और उस दौरान पर्याप्त मात्रा में पानी ना पीने से डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण) की समस्या होती है। इसके अलावा ज्यादा देर तक कसरत करने, बार-बार पेशाब करने से, तेज बुखार होने से, कई बार दस्त होने से और कुछ अन्य बीमारियों की वजह से भी शरीर में पानी की कमी हो सकती है।
डिहाइड्रेशन होने पर बहुत अधिक प्यास लगती है और ये प्यास पानी पीने के बावजूद भी बुझती नहीं है। इसके अलावा ब्लड प्रेशर कम होना, तेज सांसे चलना, होंठ और जीभ सूखना, कम पेशाब होना, कब्ज़, मांसपेशियों में ऐंठन और दर्द होना, तेज थकान होने डिहाइड्रेशन के प्रमुख लक्षण हैं। अधिकांश लोगों में डिहाइड्रेशन के कारण तेज सिरदर्द (Dehydration headache) होने लगता है। इसीलिए अगर गर्मियों के दिनों में कभी भी तेज सिरदर्द हो तो उसे अनदेखा ना करें।
अगर बच्चों में डिहाइड्रेशन के लक्षणों (Signs of dehydration in children) की बात की जाए तो इसके कारण उनके होंठ सूखने लगते हैं और कई कई घंटो तक उन्हें पेशाब नहीं होती है। उल्टी या अधिक दस्त हो जाने के कारण शरीर में पोटैशियम, सोडियम जैसे महत्वपूर्ण खनिजों की मात्रा काफी कम हो जाती है। ऐसे में अगर इनकी भरपाई ना की जाए तो शरीर में ज्यादा कमजोरी महसूस होने लगती है। डिहाइड्रेशन के दुष्प्रभावों (Side effects of dehydration) से बचने के लिए घरेलू या आयुर्वेदिक उपाय अपनाएं या स्थिति गंभीर होने पर नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें।
इस लेख में आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. दीपक कुमार सोनी डिहाइड्रेशन से बचने के घरेलू और आयुर्वेदिक उपायों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं। आइये जानते हैं :
शरीर में पानी की कमी हो जाने पर आप कुछ घरेलू उपाय अपनाकर इस समस्या से आराम पा सकते हैं। हालांकि अगर स्थिति बहुत ज्यादा गंभीर है और घरेलू उपायों से आराम नहीं मिल रहा है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। आइये डिहाइड्रेशन से बचने के कुछ प्रमुख घरेलू उपायों के बारे में जानते हैं।
घरेलू उपाय के साथ साथ आप डिहाइड्रेशन से बचने के लिए आयुर्वेदिक उपाय भी अपना सकते हैं। आयुर्वेद में ऐसी कई औषधियों का उल्लेख है जिनके इस्तेमाल से गर्मियों के मौसम में डिहाइड्रेशन के प्रभाव (effects of dehydration) को कम किया जा सकता है। कुछ प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं।
1- सौंफ के बीज : कई बार डायरिया होने पर शरीर से इतनी अधिक मात्रा में पानी निकल जाता है कि मरीज डिहाइड्रेशन के शिकार हो जाते हैं। ऐसे में सौंफ के बीज उनके लिए बहुत फायदेमंद साबित होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार सौंफ की तासीर ठंडी होती है और यह डायरिया के लिए ज़िम्मेदार बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद करती है जिससे डिहाइड्रेशन की समस्या से बचाव होता है।
खुराक और सेवन का तरीका : आधा चम्मच सौंफ को एक लीटर पानी में उबालकर सौंफ का पानी बना लें। इसे ठंडा करने के बाद रोजाना दिन में तीन से चार बार एक कप पिएं।
2- तुलसी (Basil) : तुलसी में बहुत अधिक औषधीय गुण होते हैं और इसी वजह से इसका इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों के इलाज में किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अपने देश में इस पौधे की पूजा भी की जाती है। डिहाइड्रेशन के कारण होने वाले पेट दर्द से आराम दिलाने में तुलसी की पत्तियां अहम भूमिका निभाती हैं। डिहाइड्रेशन होने पर यह शरीर के तापमान को ठंडा बनाये रखने में मदद करती हैं।
खुराक और सेवन का तरीका : आजकल बाज़ार में तुलसी सत्व आसानी से मिल जाते हैं। यह तुलसी की पत्तियों का अर्क होते हैं। एक कप सादे पानी में तुलसी सत्व की दो बूंदें मिलाकर रोजाना दिन में दो बार इसका सेवन करें।
3- गुड़हल का फूल : आयुर्वेद में गुड़हल के फूल को काफी उपयोगी माना गया है। गुड़हल की पत्तियों से बनी चाय (Hibiscus tea) आपको कई बीमारियों से दूर रखती है। इस फूल में विटामिन सी की मात्रा काफी अधिक होती है और शरीर में पानी की कमी होने पर इसका सेवन करना बहुत फायदेमंद होता हैं। यह डिहाइड्रेशन के लक्षणों (signs of dehydration in hindi) को तेजी से कम करती है।
खुराक और सेवन का तरीका : एक चौथाई कप पानी लें उसमें एक चौथाई कप गुड़हल की पत्तियां और कुछ गुलाब की पत्तियां डालें और उबाल कर चाय बना लें। एक कप इस चाय में एक चम्मच एलोवेरा जूस मिलाकर रोजाना सिन में दो बार इसका सेवन करें।
4- गन्ने का जूस : गन्ने के जूस (Ikshu plant) में कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम, आयरन और मैगनीज जैसे ज़रुरी पोषक तत्व काफी अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। डिहाइड्रेशन होने पर शरीर में इन पोषक तत्वों की बहुत कमी हो जाती है। गन्ने के जूस का सेवन करने से आपको ये सभी इलेक्ट्रोलाइट वापस मिल जाते हैं।
खुराक और सेवन का तरीका : एक कप गन्ने के रस में बराबर मात्रा में पानी मिलाकर जूस को पतला कर लें और दिन में दो से तीन बार इसका सेवन करें।
5- गिलोय जूस : अधिकतर मामलों में पाचन से जुड़े संक्रमण के कारण ही मरीज को डिहाइड्रेशन की समस्या होती है। ऐसे में गिलोय का जूस पीना काफी फायदेमंद होता है। इससे शरीर की इम्युनिटी पावर बढ़ती है और मरीज को जल्दी आराम मिलता है।
खुराक और सेवन का तरीका : आजकल बाज़ार में गिलोय का रस आसानी से उपलब्ध है। दो से तीन चम्मच गिलोय के रस में बराबर मात्रा में पानी मिलाकर रोजाना दिन में एक बार इसका सेवन करें।
ऊपर बताए गए उपायों को अपनाने के अलावा डिहाइड्रेशन से बचने के लिए अपनी जीवनशैली में भी कुछ ज़रुरी बदलाव लायें। छोटे बच्चों को बेवजह बाहर धूप में ना खेलने दें और गर्मियों में नियमित अंतराल पर पानी, फलों के जूस, नारियल पानी, नींबू पानी इत्यादि का सेवन करें। घरेलू उपाय अपनाने के बाद भी अगर डिहाइड्रेशन के लक्षणों में कोई कमी नहीं आ रही है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।



