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Friday, 6 July 2018

गुप्त रोग , किडनी की पथरी समेत कई अन्य बीमारियों में उपयोगी औषधि है गोखरु

गुप्त रोग , किडनी की पथरी समेत कई अन्य बीमारियों में उपयोगी औषधि है गोखरु

 
VJY COMTECH
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अभी भी कई ऐसी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियाँ मौजूद हैं जिनके संपूर्ण गुणों के बारे में अधिकांश लोगों को जानकारी नहीं है। गोक्षुर (Tribulus terrestris) भी ऐसी ही एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जो आमतौर पर वनस्पति के रुप में जमीन पर फैली हुई पायी जाती है। ये मानसून के समय अपने आप ही खेतों और जंगलों में उग जाते हैं। इसके फल कांटेदार होते हैं और ये गायों और अन्य जानवरों के पैरों (खुरों) में फंस जाते हैं इसी वजह से इन फलों का नाम गोखरु (Gokhru) पड़ा। इसे गोक्षुर (Gokshura in hindi), त्रिकंटक, गोखरु कांटा आदि नामों से भी जाना जाता है।
इस पौधे की दो प्रजातियां पायी जाती हैं : छोटा गोखरु और बड़ा गोखरु। गोखरु का मुख्य इस्तेमाल बांझपन दूर करने और ताकत बढ़ाने के लिए किया जाता है। आयुर्वेद और चीन की चिकित्सा पद्धति में इस पौधे की जड़ों, फलों और बीजों का उपयोग प्रमुखता से किया जाता है। गोक्षुर के फायदों (Gokshura benefits in hindi) के बारे में बात करें तो यह मूत्र संबंधी रोगों, किडनी और प्रजनन अंगों के लिए यह बहुत ही गुणकारी औषधि है।आयुर्वेद के अनुसार गोखरु मूत्रवर्धक, वीर्यवर्धक और शक्तिवर्धक औषधि है।
पोषक तत्वों की मात्रा : इस औषधि में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। जिनमें क्वेरसेटन,केम्फेरोल, सैपोनिन, सोडियम, पोटैशियम मुख्य रुप से शामिल हैं। इसके अलावा गोक्षुर विटामिन ए, कैल्शियम और आयरन का भी अच्छा स्रोत है। 
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गोखरु सेहत के लिए कई तरीके से फायदेमंद है। इससे कई तरह की बीमारियों से बचाव होता है और आंतरिक शक्ति बढ़ती है।
आयुर्वेद के अनुसार गोखरु में कामोत्तेजक गुण होते हैं। इसके सेवन से लिंग की मांसपेशियों में खून का प्रवाह बढ़ता है। यह लिंग के ऊतकों को मजबूती प्रदान करता है जिससे लिंग की उत्तेजना बनाये रखने में मदद मिलती है। इसलिए यह इरेक्टाइल डिसफंक्शन के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद औषधि है। इसकी उचित खुराक के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। 
क्या गोखरु डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद है?
जानवरों पर किये शोध में यह पता चला कि गोखरु में पाए जाने वाला सैपोनिन नामक तत्व में रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) को कम करने वाले गुण पाए जाते हैं। सैपोनिन सीरम ग्लूकोज, सीरम ट्राईग्लिसराइड और सीरम कोलेस्ट्रॉल को कम करती है। हाल में हुए शोध में यह पता चला कि गोखरु, मधुमेह से पीड़ित महिलाओं में ब्लड ग्लूकोज लेवल कम करने में और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखने में मदद करती है। इसलिए डायबिटीज के मरीजों को गोखरु का सेवन कर सकते हैं।
क्या गोखरु का सेवन किडनी की पथरी (gokhru for kidney) में फायदेमंद है?
आयुर्वेद के अनुसार गोखरु में पोटैशियम और नाइट्रेट की मात्रा काफी अधिक होती है और इसमें मूत्रवर्धक गुण पाए जाते हैं। यह किडनी की पथरी को छोटे छोटे टुकड़ों में तोड़कर उन्हें मूत्र मार्ग से बाहर निकालने में मदद करती है साथ ही यूरिक एसिड की मात्रा भी बढ़ाती है। इस लिहाज से देखा जाए तो गोक्षुर का नियमित सेवन किडनी की पथरी और किडनी से जुड़ी अन्य बीमारियों में बहुत फायदेमंद है। 
क्या गोखरु ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करती है?
गोखरु में मूत्रवर्धक गुण होते हैं और यह शरीर से अतिरिक्त पानी और नमक को बाहर निकाल देती है जिस वजह से ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है। हालांकि अगर आप हाइपरटेंशन के मरीज हैं तो इसके सेवन और खुराक की सही जानकारी के लिए डॉक्टर की सलाह ज़रुर लें।
क्या गोखरु के सेवन से पुरुषों में बांझपन या नपुंसकता (Male infertility) की समस्या ठीक हो सकती हैै?
गोखरु के सेवन से शुक्राणुओं की संख्या और उनकी गतिशीलता बढ़ती है साथ ही काम की इच्छा में भी बढ़ोतरी होती है। काम की इच्छा में कमी से पीड़ित मरीजों को इसका सेवन ज़रुर करना चाहिए। बांझपन और नपुंसकता में गोखरु की उपयोगिता को लेकर अभी उतनी रिसर्च नहीं की गयी है फिर भी ज्ञात शोधों और आयुर्वेद के अनुसार ऐसा देखा गया है कि गोखरु का नियमित सेवन करने से नपुंसकता के लक्षणों में कमी आती है।
गोखरु के साइड इफ़ेक्ट (Gokshura side effects in hindi) क्या-क्या हैं?
अगर आप सीमित अवधि के लिए गोखरु का सेवन करते हैं तो इससे कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। लम्बे समय तक इसके सेवन या ज़रुरत से ज्यादा मात्रा में सेवन करने से पेट में दर्द, उल्टी, मिचली, दस्त और सोने में दिक्कत होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
गोखरु का सेवन कैसे और कितनी मात्रा में करना चाहिए?
गोखरु या गोक्षुर तीन अलग अलग रुपों में उपलब्ध है : गोक्षुर चूर्ण, गोक्षुर क्वाथ, गोक्षुर टैबलेट।
-गोक्षुर चूर्ण : आधा से एक चम्मच दिन में दो बार दूध के साथ।
-गोक्षुर क्वाथ : 15-30 ml गोक्षुर क्वाथ में समान मात्रा में पानी मिलाकर दिन में दो बार खाना खाने के बाद लें।
-गोक्षुर टैबलेट : रोजाना एक से दो कैप्सूल को दूध के साथ दिन में दो बार खाने के बाद लें।
क्या गोखरु का सेवन दूध के साथ करना ज्यादा फायदेमंद होता है?
हां, दूध के साथ गोखरु का सेवन करने से इसके फायदे कई गुना बढ़ जाते हैं।
क्या गोखरु के सेवन से चर्म रोग ठीक हो जाता है?
अगर आप त्वचा संबंधी समस्याओं से पीड़ित रहते हैं तो गोखरु के सेवन से निश्चित तौर पर आपकी समस्या कम हो सकती है। चर्म रोग से पीड़ित लोगों को गोक्षुर फल को पानी में पीसकर उसका लेप अपनी त्वचा पर लगाने से त्वचा रोगों के लक्षणों में कमी आती है।
क्या गोखरु के सेवन से टेस्टोस्टेरोन का लेवल बढ़ता है?
आयुर्वेद में गोक्षुर को कामोत्तेजना बढ़ाने वालीं औषधि के रुप में इस्तेमाल किया जाता है। कुछ शोधों में इस बात की पुष्टि हुई है कि गोक्षुर में पाए जाने वाला सैपोनिन, ल्यूटनाइजिंग हार्मोन की मात्रा बढ़ाता है, स्पर्म कोशिकाओं को विकसित करने में मदद करता है जिससे टेस्टोस्टेरोन अधिक सक्रिय हो जाता है। इसके सेवन से स्पर्म की क्वालिटी भी बेहतर होती है। अगर आप ताकत की कमी है या टेस्टोस्टेरोन का लेवल कम है तो आप नियमित रुप से क्षार का सेवन कर सकते हैं।
क्या महिलाएं, स्त्री रोगों के इलाज में गोखरु का सेवन कर सकती हैं?
जो महिलाएं मूत्र संबंधित स्त्री रोगों से पीड़ित हैं उन्हें गोखरु के सेवन से फायदा मिल सकता है। यूटीआई और अन्य मूत्र संबंधित स्त्री रोगों में गोखरु का सेवन करना बहुत ही गुणकारी होता है। हालांकि इसका सेवन करने से पहले एक बार स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह ज़रुर लें।
कई बार वजन बढ़ने का कारण अतिरिक्त चर्बी नहीं होती बल्कि अधिकांश मामलों में कोशिकाओं में जमा पानी (water weight) के कारण भी वजन बढ़ने लगता है। अगर इकठ्ठा हुए पानी की वजह से आपका वजन बढ़ा है तो गोखरु का इस्तेमाल करना आपके लिए फायदेमंद है लेकिन अगर किसी और वजह से वजन बढ़ रहा है तो उसके लिए डॉक्टर की सलाह लें।
क्या गर्भावस्था या स्तनपान के दौरान गोखरु का सेवन करना चाहिए ?
महिलाओं को गर्भावस्था या स्तनपान के दौरान किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से परहेज करना चाहिए। इस दौरान किसी भी औषधि के सेवन से पहले स्त्री रोग विशेषज्ञ से ज़रुर सलाह लें।
बेशक गोखरु हमारी सेहत के लिए बहुत उपयोगी है लेकिन गोखरु का सेवन हमेशा सीमित मात्रा में या किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही करें। अगर गोखरु के सेवन के दौरान आपको किसी भी तरह की समस्या होती है तो तुरंत अपने डॉक्टर को बताएं। 
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पेट ख़राबी और मोटापे को कम करने के लिए बहुत ही सरल इलाज़


पेट ख़राबी और मोटापे को कम करने के लिए बहुत ही सरल इलाज़
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आजकल की जीवनशैली में तमाम तरह की स्वास्थ्य संबंधी मुश्किलें आती हैं। खराब खानपान, देर से सोना और देर से जागने की आदत, दिन भर एक ही जगह बैठकर घंटों कंप्यूटर के सामने काम करना ये सब आदतें आपकी सेहत को नुकसान पहुंचाती हैं। इस सब गलत आदतों का पाचन तंत्र पर बहुत बुरा असर पड़ता है और कब्ज़ समेत कई अन्य तरह की समस्याएं होने लगती है। अपने देश में कब्ज़ से पीड़ित मरीजों की संख्या दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है और यही कारण है कि लोग कब कब्ज़ से आराम पाने के हर संभव प्रयास कर रहे हैं।

इसबगोल के फायदे और नुकसान

इसबगोल प्लांटागो ओवाटा नामक पौधे का बीज होता है। यह पौधा देखने में बिल्कुल गेंहूं के जैसा होता है जिसमें छोटी छोटी पत्तियां और फूल होते हैं। इस पौधे की डालियों में जो बीज लगे होते हैं उनके ऊपर सफ़ेद रंग का पदार्थ चिपका रहता है। इसे ही इसबगोल की भूसी कहते हैं। इसबगोल की भूसी में कई औषधीय गुण पाए जाए हैं और यह सेहत के लिए बहुत गुणकारी है। भारत समेत विश्व के कई देशों में इसबगोल की खेती की जाती है और भारत से कई पडोसी देशों में इसबगोल का निर्यात भी किया जाता है। इसबगोल के फायदों और मांग को देखते हुए बाज़ार में इस समय इसकी कीमत काफी बढ़ गयी है।

इसबगोल (Isabgol) एक तरह से लैक्सेटिव की तरह काम करती है। इसमें फाइबर की मात्रा बहुत अधिक होती है साथ ही वसा और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बिल्कुल भी नहीं होती है। इसबगोल का सेवन हर उम्र के लोग कर सकते हैं। इसबगोल पेचिस, कब्ज़, दस्त, मोटापा, डिहाइड्रेशन, डायबिटीज आदि रोगों में बहुत गुणकारी है। आयुर्वेदिक और एलोपैथी दोनों ही चिकित्सा पद्धति में इसबगोल को औषधि या दवा के रुप में इस्तेमाल किया जाता है।
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1- एक गिलास गर्म पानी में एक से दो चम्मच इसबगोल की भूसी मिलाएं और रात में खाना खाने के बाद इसका सेवन करें।

2- एक कटोरी दही में एक से दो चम्मच इसबगोल की भूसी मिलाएं। मिठास के लिए आप इसमें चीनी भी स्वादानुसार मिला सकते हैं। इसबगोल और दही का मिश्रण दस्त से आराम दिलाने में बहुत कारगर होता है। इसबगोल और दही को खाने के कुछ देर बाद एक गिलास पानी पिएं।

3- पेट साफ़ करने के लिए रात में एक चम्मच त्रिफला पाउडर और दो चम्मच इसबगोल भूसी मिलाकर गर्म पानी के साथ इसका सेवन करें।

कई लोगों को ऐसा लगता है कि इसबगोल की भूसी सिर्फ कब्ज़ दूर करने में ही सहायक है। जबकि ऐसा नहीं है इसबगोल (Isabgol in hindi), कब्ज़ के अलावा भी कई बीमारियों के इलाज में फायदेमंद है। इसका नियमित सेवन करने से पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है जिससे पेट से जुड़ी कई अन्य समस्याएं भी ठीक होने लगती हैं। आइये जानते हैं कि इसबगोल के फायदे क्या क्या हैं :

कब्ज़ दूर करने में सहायक

डायबिटीज : इसबगोल में जिलेटिन पाया जाता है जो शरीर में ग्लूकोज के विघटन और अवशोषण की प्रक्रिया को धीमी करती है। जिससे डायबिटीज या मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। कई शोधों में इस बात की पुष्टि हुई है कि डाइट में फाइबर से भरपूर चीजों का सेवन करने से इंसुलिन और ब्लड शुगर लेवल कम होता है जिससे डायबिटीज को नियंत्रित करना आसान हो जाता है।

वजन कम करने में सहायक : मोटापे से आज के समय में हर तीसरा आदमी परेशान है और वो मोटापे से निजात पाने के हर तरीके आजमा रहा है। जबकि कुछ आयुर्वेदिक तरीके ऐसे हैं जिनकी मदद से वजन कम करना बहुत आसान है। कई मामलों में पेट ठीक से साफ़ ना होने की वजह से भी वजन बढ़ने लगता है। ऐसे में इसबगोल का सेवन करने से पेट अच्छे तरीके से साफ़ होता है और वजन कम करने में मदद मिलती है। इसके अलावा ईसबगोल खाने से देर तह पेट भरा हुआ महसूस होता है जिससे आप बेवजह कुछ खाने से बच जाते हैं।

बवासीर और फिशर के इलाज में उपयोगी

दिल के लिए फायदेमंद

डायरिया के इलाज में फायदेमंद

एसिडिटी से आराम
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अगर आप सोचते हैं कि इसबगोल के नुकसान होते ही नहीं हैं तो आप गलत हैं। यकीनन इसबगोल के फायदे बहुत ज्यादा हैं लेकिन ज़रुरत से ज्यादा मात्रा में इसबगोल का सेवन करना भी सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। अगर आप चिकित्सक द्वारा निर्धारित मात्रा से ज्यादा मात्रा में सेवन कर रहे हैं तो आपको इसबगोल के नुकसान झेलने पड़ सकते हैं। इसबगोल से होने वाले प्रमुख नुकसान निम्न हैं:

पेट में मरोड़ या सूजन : कभी-कभी इसबगोल की भूसी खाने पर पेट में मरोड़ या सूजन होने लगती है। ऐसा होने पर इसबगोल का सेवन तुरंत बंद कर दें और नजदीकी डॉक्टर की सलाह लें।

दवाइयों के असर पर प्रभाव : कई बार ऐसा देखा गया है कि जो मरीज किसी और बीमारी की दवा पहले से खा रहे होते हैं, उन्हें अचानक पेट से जुड़ी समस्या होने पर जब वे इसबगोल खाते हैं तो यह दवाइयों के असर को कम कर देती है। इसबगोल दवा को घुलने से रोक देती है जिससे दवा अपना पूरा असर नहीं दिखा पाती है। इसलिए अगर आपका इलाज चल रहा है तो इसबगोल के सेवन से पहले अपने डॉक्टर को ज़रुर सूचित करें। 

पोषक तत्वों के अवशोषण पर प्रभाव : कुछ शोधों में इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि इसबगोल के सेवन से जिंक, कॉपर व अन्य प्रमुख पोषक तत्वों का शरीर में अवशोषण घट जाता है। जबकि ये पोषक तत्व शरीर को सेहतमंद रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो नियमित अधिक मात्रा में इसबगोल खाने से शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। 

भूख में कमी : इसबगोल का नियमित सेवन करने पर भूख में कमी की समस्या भी हो सकती है। हालांकि यह समस्या बहुत कम लोगों में देखने को मिलती है। 

पेट में भारीपन : इसबगोल के साइड इफ़ेक्ट के कारण आपको पेट में भारीपन जैसा भी महसूस हो सकता है। इससे परेशान होने की ज़रुरत नहीं है क्योंकि यह समस्या कुछ देर बाद अपने आप ही खत्म हो जाती है।

1– अगर आप पहले कभी एपेंडिसाइटिस या पेट में ब्लॉकेज जैसी समस्याओं से पीड़ित रह चुके हैं तो ईसबगोल का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह ज़रुर लें।

2– गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को किसी भी आयुर्वेदिक औषधि का सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए। इसलिए अगर आप गर्भवती हैं और कब्ज़ से आराम पाने के लिए इसबगोल का सेवन करना चाहती हैं तो पहले अपनी गायनकोलॉजिस्ट से इस बारे में पूछ लें।

3– तीन साल से कम उम्र के बच्चों को इसबगोल की भूसी खिलाने से परहेज करना चाहिए।

4– कभी भी इसबगोल के पाउडर (Isabgol Powder) को सीधे निगलने की कोशिश ना करें। ऐसा करने से यह गले में अटक सकता है और तेज खांसी या गले में जलन की समस्या हो सकती है। हमेशा इसबगोल को पानी या दही के साथ ही लें।

बेशक इसबगोल के फायदे और नुकसान दोनों है लेकिन अगर आप सीमित मात्रा में या डॉक्टर द्वारा बताई गयी खुराक के अनुसार इसका सेवन करें तो आप इसबगोल के सभी फायदों का लाभ उठा सकते हैं। यकीन मानिए इसबगोल को सही तरीके से खाने से यह बहुत जल्दी अपना असर दिखाती है और पेट के रोगों से मुक्ति दिलाती है।

Know the unknown advantages of Neem


Know the unknown advantages of Neem

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What if you get one “natural solution” to multiple health problems? Wondering how? Well, its none other than neem, which is also known as ‘sarva roga nivarini’, or one that keeps all diseases at bay, in Ayurveda. Be it skin problems, digestion or diabetes neem has your back every time.

According to Ayurveda, neem is bitter in taste and cold in potency and helps to balance Pitta and Kapha doshas in the body. Neem provides a soothing and healing effect on the skin due to its cold property. The bitter taste of neem improves the function of liver and removes accumulated toxin from the liver.

Let us have a look at how to use neem as a natural remedy to fight these diseases:
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1. Protects teeth and gums

Chewing on a Neem twig, also known as ‘daatun’, is an excellent remedy for all oral problems. Neem has antimicrobial properties which help eliminate bacteria from the mouth to prevent bad breath, plaque, toothaches, mouth ulcers and gum disease.

How to use:
Take a medium-sized, clean neem twig.
Chew on one side to make it like a tooth-brush.

Now use this as a natural toothbrush and rinse your mouth with plain water.

You can also choose Neem toothpaste or mouthwash if you do not like the taste of the twig.

Make this a part of your daily oral care regime.

2. Gets rid of acne

If you are suffering from acne then this one’s for you. Neem’s antibacterial properties help prevent future breakouts while its anti-oxidant quality helps clear scars and makes the skin look fresh and clean.

How to use:
Take a handful of neem leaves and clean under running tap water.
Take 4 parts water to one part leaves. Boil the leaves till the water turns green.
Cool and use this water to wash your face daily.
Alternatively, you can crush few Neem leaves and apply the paste on acne.
Let it dry and wash with cool water.
Apply either neem water or neem paste twice a day.

3. Fights head lice infestation

Not many know this, but neem is an effective natural remedy against hair lice because of its antimicrobial properties. So if your kid has lice choose this natural and easily available remedy over harsh shampoos.

How to use:
-Take a handful of neem leaves and clean under running tap water.
-Take 4 parts water to one part leaves. Boil the leaves till the water turns green.
-Cool and use this water to rinse the hair after shampooing.
-Alternatively, you can use few drops of neem oil diluted in coconut oil.
-Dab it on the scalp, keep for two hours and wash it off.
-Repeat this twice a week.

4. Controls blood sugar level

Do you know that neem can help you control your blood sugar level? Well, some studies have shown that neem has anti-diabetic properties. It acts by inhibiting two enzymes named alpha-amylase and alpha-glucosidase which are involved in increasing the blood glucose after meals.

How to use:

-Chew 4-5 tender and clean neem leaves in the morning on an empty stomach daily.

-Or, boil few clean neem leaves, strain and drink the water.

5. Detoxifies the body

Neem stimulates the liver to eliminate toxins present in the body. Neem also has strong antioxidant properties which fight against free radicals and protects against liver damage. Regular consumption of neem rejuvenates the liver and normalizes its function.

How to use:

Chew 3-4 tender and washed neem leaves early morning on an empty stomach daily.

6. Fights acidity

Neem bark and leaves have anti-inflammatory properties which help prevent ulcers and many other intestinal problems like cramping, bloating and constipation.

How to use:
-Take 1-2gms of neem bark or leaf powder.
-Mix it with a teaspoon of honey.
-Take it after meal twice a day.

7. Lowers the risk of cancer

Certain compounds present in neem leaves are known to aid cancer treatment by improving the immune response, eliminating free radicals and inhibiting cell division reducing inflammation. The compounds were also seen to enhance the effectiveness of chemotherapy.

How to use:

Chew 4-5 tender and washed neem leaves daily early morning on an empty stomach as a supportive treatment.

Some important points:
a) Apply neem leaves paste with rose water if your skin is hypersensitive.
b) Neem oil should be mixed with a carrier oil like coconut or olive oil before applying on the scalp as it is strong in nature.
c) Neem should be avoided during pregnancy because it can cause miscarriage.
d) Monitor your blood sugar level if you are taking neem along with your existing anti-diabetic medications.
e) Do not take neem if you are planning to have children as some studies say that Neem can act as a natural contraceptive.

6 चीजों से बचें जो आपके चेहरे को बदतर बनाती हैं

6 चीजों से बचें जो आपके चेहरे को बदतर बनाती हैं

मुँहासे एक आम त्वचा की समस्या है जो ज्यादातर हार्मोनल परिवर्तनों के कारण होती है। लेकिन जो आपको पता नहीं है वह यह है कि दिन-दर-दिन आधार पर कुछ चीजें मुँहासे को और भी खराब कर सकती हैं। नहीं! इसे अपने आहार पर दोष न दें क्योंकि मुँहासे खराब करने में इसकी भूमिका का कोई स्पष्ट सबूत नहीं है। लेकिन जिस तरह से आप अपनी त्वचा का ख्याल रखते हैं, त्वचा पर एक बड़ा प्रभाव हो सकता है। यहां कुछ चीजें हैं जो मुँहासे को बढ़ा सकती हैं और चेहरे को नुक्सान पंहुचा सकती है |

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1. दिन में दो बार अपने चेहरे को धोना: मुँहासे वाले ज्यादातर लोग सोचते हैं कि चेहरे को छः से सात बार धोना मुँहासे से छुटकारा पाने में मदद कर सकता है। लेकिन यह सच नहीं है क्योंकि अतिरिक्त स्क्रबिंग या धोने से छिद्र खुल सकता है, जो बदले में आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचाता है और मुँहासे खराब कर देता है।
इसके अलावा चेहरे को धोने के दौरान ज्यादा गर्म पानी का उपयोग न करें बल्कि हल्के गुनगुने पानी का प्रयोग करें। केमिकल-युक्त साबुन की बजाय साधारण साबुन का प्रयोग करें, जो मृत त्वचा कोशिकाओं को हटाने में प्रभावी हैं।
2. अपने मुँहासे को चुनना और निचोड़ कर निकाल देना, ऐसा बिलकुल नही करना चाहिए क्योंकि यह न केवल मुँहासे खराब कर सकता है बल्कि सूजन और स्कार्फिंग की वजह से त्वचा को भी नुकसान पहुंचा सकता है। इसके अलावा यह त्वचा घावों के कारण संक्रमण का खतरा भी बढ़ा सकता है।
3. तेल आधारित मेक-अप उत्पादों का उपयोग करना: मुँहासे तब होते हैं जब त्वचा के छिद्र मृत त्वचा और तेल से घिरे होते हैं, जो बैक्टीरिया का निर्माण भी करते हैं। सूजन त्वचा पर तेल आधारित मेक-अप उत्पादों का उपयोग करके चीजों को और भी खराब कर सकते हैं।
4. मॉइस्चराइज़र का उपयोग नहीं करना चाहिए: चूंकि तैलीय त्वचा के कारण मुँहासा होता है, हम में से अधिकांश मानते हैं कि एक मॉइस्चराइज़र लगाने से इसे और खराब कर दिया जा सकता है। हालांकि, एक मॉइस्चराइज़र का उपयोग सूखापन को कम करने और त्वचा छीलने के छीलने के लिए जाना जाता है, जो मुँहासे उपचार के आम दुष्प्रभाव होते हैं। इसलिए, मॉइस्चराइज़र का उपयोग करें जिन्हें "noncomedogenic" के रूप में लेबल किया गया है क्योंकि इन्हें त्वचा के छिद्रों को अवरुद्ध करने की संभावना कम होती है।

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5. सूरज की रोशनी से अत्यधिक संपर्क: मुँहासे के लिए कुछ उपचार सूर्य की रोशनी में त्वचा की संवेदनशीलता को बढ़ा सकते हैं। हानिकारक सूरज की किरणों के खिलाफ सुरक्षा के लिए एक सनस्क्रीन का उपयोग नहीं कर सकते चूँकि त्वचा को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए, सूर्य के संपर्क से बचने और मुँहासे को और भी खराब होने से रोकने के लिए एक व्यापक स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन का उपयोग करना महत्वपूर्ण है।
6. तनावग्रस्त होने पर: हां, तनाव हार्मोन पर इसके प्रभाव के कारण आपकी त्वचा को भी प्रभावित कर सकता है और मुँहासे खराब कर सकता है। किसी भी तनाव राहत चिकित्सा का प्रयास करें जो आपके लिए योग, ध्यान, नृत्य, संगीत या कला जैसे काम करता है।

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WHAT IS CUSTODIAN AND ELIGIBILITY OF CUSTODIAN

"    custodian of securities" means any person who carries on or proposes to carry on the business of providing             custod...